आजादी के बाद कई वर्षों तक जिस मसले को हम कश्मीर समस्या के रूप में जानते थे, वह पिछले लगभग ढाई दशक से कश्मीर प्रश्न बना हुआ है। यह प्रश्न बीज रूप में वैसे तो हमेशा ही मौजूद रहा है, किन्तु इसे सींचने और विकसि...
अलविदा 2018
बीजेपी सरकार के चार साल के कामकाज पर जब राहुल गांधी हिसाब मांगते हैं तो सरकार में चिंता साफ देखी जा सकती है। कांग्रेस अधिवेशन में उठाये गये उनके सवालों का जवाब देना बीजेपी के लिए बहुत ही मुश्किल पड़ रहा है।...
साहित्य: सभ्यताओं का सर्जक
'साहित्य जनता की चित्तवृत्तियों का संचित प्रतिबिम्ब होता है। यह कथन है आचार्य रामचंद्र जी शुक्ल का। कितना सही कहा है आचार्य जी ने। वर्तमान में साहित्य के, युवा वर्ग के और उससे जुड़े सरोकार के अर्थ पूरी तरह ब...
दिव्य कुम्भ-भव्य कुम्भ
कुम्भ का नाम सुनते ही आंखों के आगे दिखाई देने लग जाती है अनगिनत भक्तों की मौजूदगी, ईश्वर की भक्ति में डूबा हुआ सम्पूर्ण वातावरण, इसे और भी खूबसूरती प्रदान करती समाजिक सद्भावना। इस बात में कोई दो राह नहीं कुम...
अयोध्या विवाद सवाल, साक्ष्य और समाधान
अयोध्या में राम मंदिर का विषय भारतीय जनमानस के लिये आस्था और भावना का मुद्दा है। किंतु इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि राम मंदिर मुद्दे का राजनीतिकरण भी बड़े स्तर पर हुआ है। मंदिर निर्माण भारतीय ज...
खेल से खिलवाड़
ईमानदारी और गम्भीरतापूर्वक विचार किया जाए तो वैश्विक स्तर पर खेलों के मैदान में हमारा प्रदर्शन संतोषजनक नहीं रहा है। देखा जाए तो खेलों के हर क्षेत्र में स्तर पर खेल संस्कृति का अभाव ही हमारे पिछड़े होने का म...
भविष्य का भारत
भविष्य का भारत कैसा हो, उसकी विश्व में क्या स्थिति होनी चाहिए, परम वैभव तक राष्ट्र को ले जाने का क्या मार्ग होना चाहिए, विभिन्नताओं के मध्य एकात्मता की व्यापकता कैसे स्थापित होगी आदि जैसे अनेक राष्ट्रीय व स...
हांफता कानून, बेबस व्यवस्था
सूबे में केसरिया सरकार को काबिज हुए डेढ़ साल का वक्त गुजर चुका है। जनता की आशा और अपेक्षा के सैलाब को मूल्यांकन के पुल पर कदमताल करते हुए पार उतरा है, वक्त का हर लम्हा। दरअसल हर गुजरता लम्हा अपने आप में आईना...
न्याय व्यवस्था में अव्यवस्था
न्याय में विलम्ब अन्याय होता है। इसमें कोई शक नहीं है कि न्याय मिलने में देरी भी आखिरकार मानवाधिकारों का हनन ही है और इसीलिए तारीख पर तारीख का सिलसिला तो जितनी जल्द हो बंद होना ही चाहिए। सरकार और न्यायपालिका...
अलविदा अटल
काल के कपाल पर जीवन और संघर्ष की अमिट इबारत लिखने वाला वीत रागी चला गया अनंत यात्रा पर...कभी न लौटने के लिए। 16 अगस्त, 2018 को मां भारती के लाडले और भारतीय राजनीति के राजर्षि, अटल बिहारी बाजपेयी ने इस नश्वर ...
लोक सेवक: सरकार या सेवक !
नौकरशाही की सम्पूर्ण संरचना की पुनर्समीक्षा की आवश्यकता है। नौकरशाही ही सरकार की हरेक नीति से
जनता को जोड़ती है। ये सुधरेगी, तभी देश बेहतर होगा। हालांकि जनोन्मुखी नौकरशाही की मंजिल तो अभी
लम्बी और अन...
71 साल कितने बेमिसाल
हिन्दुस्तान अंग्रेजों से अपनी आजादी की 71वीं सालगिरह मनाने जा रहा है। सात दशक पहले 15 अगस्त 1947 को मां भारती की बेडिय़ां टूट गई थीं। लेकिन क्या मां भारती की बेटियां आजाद हो पायीं? क्या साल 1947 के इंकलाबी सम...
बढ़ता प्रदूषण घटता जीवन
दरअसल प्रकृति विरोधी कथित विकास हमें विनाश की ओर ले जा रहा है। दुस्साहस देखिये कि धरती का दामन छोटा होता महसूस हुआ तो इनसानी अंहकार ने आसमानों में बस्तियां बनाने की योजनायें शुरू कर दीं। जमीनें उजाड़ दीं, पर...
महकमा-ए-सेहत: कैसे हो सुधार
देश के सबसे बड़े प्रदेश उत्तर प्रदेश में 18,382 डाक्टरों के पद हैं, जिनमें 11,034 पद ही भरे हैं। कुल 7348 डाक्टरों के पद खाली हैं। विभाग सभी ब्लाक मुख्यालयों पर विशेषज्ञ डाक्टरों की सेवायें देने का वायदा करत...
शिक्षा, सवाल और समाधान
शिक्षा के अधिकार का आज का स्वरूप आने के पहले और बाद में जो बहस चली है उसमें समान स्कूल प्रणाली और पड़ोसी स्कूल की अवधारणा को हाशिए पर धकेलने के लिए एक नया शगूफा छोड़ा गया या ये कहें कि टोटका आजमाया गया है। व...
बैंक समस्या या समाधान
क्या बैंकों में हस्तान्तरण नियमों का कड़ाई से पालन किया जा रहा है? बैंक अधिकारी को हर दो या तीन साल में स्थानान्तरित किया जाना आम बात होती है। विदित हो कि पीएनबी घोटाले में शामिल विशेष कर्मचारी के मामले में,...
इन्वेस्टर्स समिट: विकास की आहट
राज्य में नये उद्योग स्थापित होने के अनुकूल वातावरण निर्मित हो चुका है। प्रदेश में औद्योगिक विकास को बहुत जल्द पंख लगने वाले हैं। राज्य सरकार की ओर से पांच वर्षों में पांच लाख करोड़ का निवेश स्थापित करते हुए...
एक राष्ट्र, एक चुनाव
सही मायनों में हमारा लोकतंत्र ऐसी कितनी ही कंटीली झाडिय़ों में फंसा पड़ा है। प्रतिदिन आभास होता है कि अगर इन कांटों के बीच कोई पगडण्डी नहीं निकली तो लोकतंत्र का चलना दूभर हो जाएगा। लोकतंत्र में जनता की आवाज ...
घाटी का दर्द
जेहाद और निजामे-मुस्तफा के नाम पर बेघर किए गए लाखों कश्मीरी पंडितों के वापस लौटने के सारे रास्ते बेहद मुश्किल भरे हैं। घाटी में कश्मीरी पंडितों को वापस बसाने को लेकर अलगाववादी संगठनों की जैसी प्रतिक्रियाएं ह...
अलविदा 2017
...साल 2017 के गर्भ से प्रसवित कुछ सवालों के जवाब साल 2018 में देश की दशा-दिशा तय करने जा रहे हैं मसलन, प्रधानमंत्री मोदी की नीति, खासकर विकास का जमीनी असर कितना है? क्या आर्थिक मन्दी आएगी? क्या रोजगार के अव...
अन्नदाता सुखी भव:
लाख टके का प्रश्न है कि यदि हरितक्रान्ति के परिणामस्वरूप कृषि उत्पादन बढ़ा, आय बढ़ी, तो किसानों की दुर्गति क्यों हुई? इसका एक ही उत्तर है कि हमने गांव, किसान, खेती के चौथे स्तम्भ यानि गौवंश की टांग तोड़ डाली...
पढ़ेगा इंडिया बढ़ेगा इंडिया
मेरा देश बदल रहा है का जय घोष आजकल हर तरफ सुनाई पड़ रहा है जबकि तालीम के मरकज पर आज भी उदासीनता, अकर्मण्यता, अनिर्णय और सियासत का ताला जड़ा हुआ है। हजारों साल की जीवन्त संस्कृति के दानिशमंद बुजुर्गों ने बताय...
राजनीतिक हिंसा के साये में...
जब कभी विचारधारात्मक संघर्ष, तथ्य और तर्क के धरातल से खिसक कर हिंसा की भूमि पर होने लगता है तब राजनीति की उर्वरा भूमि हिंसा के रक्तबीज उत्पन्न करने लगती है और राजनीतिक हिंसा का अंकुर फूट पड़ता है जैसे राजशाह...
सवालों-जवाबों के छह माह
आशा, अपेक्षा और आकांक्षाओं के सैलाब पर सवार योगी सरकार का आधा साल जरूर गुजरा है किन्तु सरकार के पूरे किरदार की पैमाइश का सामान हाजिर है। आइये देखते हैं एक योगी की हुकूमत में कानून का इकबाल कैसा होता है? कैसी...
नौनिहाल: देश के कामगार या कर्णधार
अयोध्या की तंग गलियों में राम लला को चाय बेचते विदेशी देख लेते हैं, वृंदावन की कुंज गलियों में भीख मांगते कन्हैया की तस्वीर लगभग पर्यटकों के कैमरे में कैद होती है और तो और प्रधानमंत्री मोदी का संसदीय क्षेत्र...
बदहाल व्यवस्था, बेहाल स्वास्थ्य
यह कहना गलत नहीं होगा कि समूचे उत्तर प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था इस समय स्ट्रेचर पर है जबकि प्रत्येक जनप्रिय सरकार का सपना होता है कि उसके निजाम में आम आदमी को सस्ती और सरल स्वास्थ्य सेवायें हासिल हो सकें। ...
दंतहीन आयोग
आयोग ऐसे शेर हैं जिनके दांत ही नहीं हैं अर्थात् उन्हें जो अधिकार दिए गए हैं उनके भरोसे वे सम्बन्धित व्यक्तियों के आधारभूत हितों की रक्षा नहीं कर सकते। इसलिए आयोगों के अधिकारों पर एक राष्ट्रीय विमर्श होना चाह...
आज़ादी से अब तक
स्वाधीनता दिवस अर्थात् गुलामी के तवील अंधेरों के बाद आजादी के अरुणोदय के इस्तकबाल का दिन। लेकिन अधिकांश के लिए अब यह अवकाश का दिवस हो गया है। वह तो भला हो मीडिया के युग का, जहां मौत को भी उत्सव के रूप में मन...
नो वर्क, नो करप्शन
एक तथ्य यह भी काबिले गौर है कि भ्रष्टाचार करने के लिए कार्य का होना भी आवश्यक है। कार्य की जटिलता और औपचारिकता को इतना बढ़ा देना कि कार्य सम्पादन की स्थिति ही समाप्त हो जाए, भी भ्रष्टाचार को रोकने का एक माध्...
दोहन से संरक्षण तक
उत्तर प्रदेश में तीन दशकों से भूगर्भ जल के स्तर में तेजी से गिरावट आ रही है। विशेषज्ञ इस स्थिति से भलीभांति परिचित हैं, सरकारों ने कदम उठाए हैं, मीडिया में भी मामला उछलता रहता है। दरअसल प्रदेश पांच भौगोलिक क...
महिला सुरक्षा: बड़ा सवाल
सवाल यह है कि इन लम्पटों को रोकने के लिए वैधानिक रूप से जिम्मेदार पुलिस तंत्र का इकबाल क्या भूसा गाड़ी के पीछे-पीछे दौडऩे में खत्म हो गया है। क्या अब हम मध्ययुग के उस दौर में प्रवेश करने की तैयारी में लग चुक...
सक्षम सीएम, अक्षम सिस्टम
...बीते दो महीनों के कार्यकाल में जहां एक ओर मीडिया से लेकर आमजन में योगी की कर्तव्यनिष्ठा, ईमानदारी, साफगोई, मेहनत और पक्के इरादों को सराहना मिली वहीं अपराध नियंत्रण के मामले में वह सवालों के दायरे में है...
परीक्षा के तीन साल
26 मई को मोदी सरकार का 03 वर्ष का कार्यकाल पूरा हो रहा है। केन्द्र सरकार के नाम उपलब्धियों की एक लम्बी फेहरिस्त है जिसमें लोक लुभावन वादों के साथ वास्तविक धरातल पर कई योजनाएं अमलीजामा पहन चुकी हैं, तो समालोच...
सुशासन से समाधान
दरअसल भूख, निर्धनता, टूटती उम्मीदें, आधारभूत आवश्यकताओं की वंचना, कानून व्यवस्था की दरकती स्थिति, बढ़ती बेरोजगारी और भ्रष्टाचार का बढ़ता दावानल और अलगाव की आग से जूझते देश को सुशासन की दरकार है। सुशासन अर्था...
उम्मीद और चुनौतियाँ
प्रचण्ड जनादेश के ध्वजवाहक ने ध्वज दण्ड योगी आदित्यनाथ के मजबूत हाथों में थमा दिया है। योगी भी जानते हैं कि मौजूदा कामयाबी कुछ बुनियादी सवालों के समाधानों की तलाश का पहला पड़ाव है जो समाधान की शक्ल में जबाव ...
मंजिल की ओर कारवां
उत्तर प्रदेश की नयी हुकूमत का स्वरूप कैसा होगा यह तो 11 मार्च की ऐतिहासिक तारीख ही बताएगी लेकिन सम्भावित सरकार के स्वरूप के विषय में तमाम तरह की अटकलों की दुकानदारी सियासी चौपालों पर खूब चल रही है। टेलीविजन ...
मत, अभिमत, संघर्ष
उत्तर प्रदेश का सियासी तापमान पूरे शबाब पर है। सात पारियों के सियासी टेस्ट मैच की दो पारियां समाप्त हो चुकी हैं। अवध प्रदेश में किसे मिलेगा ताज, कौन जीतेगा बुन्देलों का मन, पूर्वांचल में किसका लहराएगा परचम, ...
बगावत, सियासत और सरकार
उत्तर प्रदेश में बगावत, ख्वाब और जुनून के दरम्यान अपने मुस्तबिल को तलाशती सियासत की तपिश चारों तरफ महसूस की जा सकती है। जहां एक तरफ दागियों का इस्तकबाल है वहीं दूसरी तरफ कानून के राज का एलान है। विकास के खोख...
मिशन 2017: रणनीति, मुद्दे और सम्भावना
क्या 18 मंडल, 75 जनपद, 312 तहसीलें, 80 लोकसभा, 30 राज्यसभा के साथ 403 सदस्यीय विधानसभा और 14 करोड़ से अधिक मतदाता वाला यह सूबा एक बार फिर धर्म व जाति आधारित राजनीति की प्रयोगशाला बनेगा! क्या विकास की बात एक ...
दरम्यानी सबक और चुनौतियां
2016 के अवसान और 2017 के आगत के दरम्यान सबक और चुनौतियों के दर्जनों जंगल हैं जिनका हर दरख्त अपने आप में जख्म, नसीहत, उम्मीद, फतह और फरियाद की तमाम दास्तानों का हमसाया है। जहां एक तरफ लहूलुहान कश्मीर, बैंक के...
नोटबंदी: शब्दहीन मौन
एटीएम और बैंक के सामने लगी अन्तहीन लम्बी कतार, विवाह और इलाज जैसे मौकों पर होती दिक्कतें, टूटते उद्योग, नकदी की बढ़ती किल्लत और अनुमान से अधिक धन का बैंक में जमा होना दर्शाता है कि सरकार की इन्कलाबी योजना ग्...
आभासी दुनिया के वास्तविक खतरे
अपराध स यता का अपरिहार्य हिस्सा है। जहां भी स यता हस्ताक्षर करती है वहां अपराध अपनी काली स्याही जरूर गिरा देता है। दुनिया के बदलने से भी यह नियम नहीं टूटता। चाहे वह असल दुनिया यानी रियल वल्र्ड हो अथवा आभासी ...
एक राष्ट्र, एक विधान
भारत में ‘एक देश, एक विधान’ का ख्वाब आज जेरे बहस है। कॉमन सिविल कोड इस ख्वाब को पूरा करने की संवैधानिक शब्दावली है। जिसके विषय में कुछ लोगों का मत है कि यह भारत की बहुधार्मिक, बहुसांस्कृतिक, विविधता को समाप्...
घाटी के मालिक विस्थापित, व्यथित और वंचित
घर वापसी का ख्याल भी सुकून देने वाला होता है। ...गर वह वापसी दशकों के विस्थापन के बाद हो रही हो तो रोमांच और कौतुहल का कई गुना बढ़ जाना लाजिमी है। विस्थापन और पुनस्र्थापन के दरम्यान गुजरा वक्त इनसान के तजुर...
बीमार वैकल्पिक चिकित्सा, सेहतमंद विरासत
कद्रे-सेहत मरीज से पूछो, तन्दुरुस्ती हजार नियामत है...जिन्दगी में सेहत की अहमियत को बखूबी बयान करता यह शेर इस बात की तस्दीक करता है कि सेहतमंद जिन्दगी सभी की ख्वाहिश है। लेकिन आज की फास्ट फूड और तनाव ग्रस्त ...
जातीय जकडऩ में सियासत!
जातीय गौरव अहंकार का प्रतीक है। जाति पिछड़ेपन की जकडऩ है तो समाज तोडक़ भी। जातिवाद का जहर राजनीतिक लोगों द्वारा पनपाया गया ऐसा वृक्ष है जिससे घृणा, द्वेष, वैमनस्य आदि समाज में बड़ी आसानी से फैलाया जाता रहा है...
आजादी के परचम तले औरत
आजादी के परचम तले औरत
बेहाल पर्यावरण बदहाल जीवन
बेहाल पर्यावरण बदहाल जीवन
शिक्षा बाजार और सरोकार
शिक्षा बाजार और सरोकार
अनंत का निर्देश आत्मा की अकुलाहट
अनंत का निर्देश आत्मा की अकुलाहट
लोकशाही बनाम नौकरशाही
लोकशाही बनाम नौकरशाही
न्याय और न्यायपालिका
न्याय और न्यायपालिका
WHAT OUR CLIENT SAYS
न्यूज़ टाइम्स पोस्ट
न्यूज़ टाइम्स पोस्ट पत्रिका देखी एवं पढ़ी। काफी अच्छा प्रयास है। अन्य पत्रिकाओं की अपेक्षा कुछ अलग करने का प्रयास सराहनीय है। लेखों के चयन में गंभीरता है। डिज़ाइनिंग पक्ष ठीक है।
- प्रदीप कुमार पाल, सीनियर सब एडिटर -
न्यूज़ टाइम्स पोस्ट सिर्फ एक पत्रिका न होकर एक मिशन है. प्रत्येक अंक एक खास मुद्दे को समर्पित रहता है, यह बात न्यूज़ टाइम्स पोस्ट को अन्य पत्रिकाओं की भेड़ चाल से अलग कर देता है। इसकी एक खास बात और है कि पत्रिका के प्रत्येक आलेख में स्त्री विमर्श अवश्य रहता है. अभी तक की पत्रकारिता में जनता सिर्फ पाठक होती थी किन्तु न्यूज़ टाइम्स पोस्ट में जनता साझीदार होती है.उसकी टिप्पड़ी को तस्वीर व मोबाइल न. समेत प्रकाशित किया जाता है, यह न्यूज़ टाइम्स की अविस्मरणीय पहल है.
- प्रणय विक्रम सिंह, एसोसिएट एडिटर, न्यूजटाइम्स पोस्ट -
अनंत का निर्देश आत्मा की अकुलाहट अंक बहुत अच्छा है इस अंक का “ईश्वर तो भेद नहीं करता “ व “तारे जमीं पर” “जज्बे को सलाम” काफी सराहनीय है . यह पत्रिका समाज को एक अच्छा सन्देश देती है, रामकृष्ण वाजपेयी के लेख ने समाज की सोच को खूबी के साथ व्यक्त किया है। शायद जो मानसिक मंदितों को पागल समझते हैं वो ही पागल हैं।
- इलाही बख्श अंसारी, सिस्टम इंजीनियर -
As I started following the magazine I realized that there is a world beyond what we see or rather we are made to see by the other media feeds. Newstimes Post is a far way better feed than others as it makes us, the common people, aware about the social realities. You guys are going in a right spirit, keep up the good work.
- अम्बरीन ज़हरा, एसोसिएट कोऑर्डिनेटर, डिजिटल स्कूल (BATTOL) -
न्यूज़ टाइम्स पोस्ट पत्रिका अपने आप में एक नया कांसेप्ट है. हर अंक एक नए विषय और स्थानीय समस्याओं को समेटे ज्ञानवर्धक होने के साथ -साथ मनोरंजक भी है। पत्रिका में स्थानीय लोगों की सीधी भागीदारी ने उत्साह बढ़ाया है. न्यूजटाइम्स पोस्ट आम आदमी का मंच बन चुकी है.
- अतहर रज़ा, फोटोजर्नलिस्ट, लखनऊ -
न्यूजटाइम्स पोस्ट की पूरी टीम को बधाई। मौजूदा अंक अनन्त का निर्देश आत्मा की अकुलाहट यथार्थ में आत्मा को छू गया। न्यूजटाइम्स पोस्ट की यह पहल अत्यंत उम्दा है।
- राजीव रत्न दीक्षित, सामाजिक कार्यकर्ता -
न्यूजटाइम्स पोस्ट ने एक बार फिर अच्छा मुद्दा उठाया है। मुझे खुशी है कि इस तरह के गम्भीर विषयों को आगे भी न्यूजटाइम्स उठायेंगा। दिव्यांगो की समस्या को आम जन तक पहुंचाकर एक साराहनीय कदम उठाया है।
- पीयूष कान्त मिश्र, अध्यक्ष, यूनाइट फाउण्डेशन -
अनन्त का निर्देश, आत्मा की अकुलाहट का अंक बेहद शानदार था। मुझे लगता है कि पाठकों के लिए यह अंक बेहद यादगार है, क्योंकि बहुत कम लोग इस तरह के विषय को उठाते हैं। मुझे उम्मीद है कि न्यूजटाइम्स पोस्ट भी आगे इसी तरह के गम्भीर विषयों को उठाता रहेगा।
- संजय द्विवेदी, पत्रकार, सोनभद्र -
न्यूजटाइम्स पोस्ट ने आत्मा की अकुलाहट अंक में दिव्यांगों के लिए बहुत अच्छी कवरेज की है। मैं इसके लिए न्यूजटाइम्स पोस्ट की पूरी टीम को बधाई देती हूं ...थ्री चीयर्स....
न्यूजटाइम्स पोस्ट का पिछला अंक बेहद शानदार था। लगने लगा है कि पत्रकारिता के दामन मे अब स्वस्थ और स्वच्छ सामग्री को जगह देने की गुजायश बिलकुल खत्म हो गयी है। न्यूजटाइम्स ने आशा कि किरण दिखाकर यह मिथ्य तोड़ दिया। दिलो-दिमाग से लेकर रूह को गिजा देने वाला यह अंक आज की सिसकती हुई पत्रकारिता को आक्सीजन देनी जैसी है। मुझे आशा है कि न्यूजटाइम्स पोस्ट आने वाले समय में इसी तरह से काम करता रहेगा।
- नावेद शिकोह, वरिष्ठ पत्रकार, लखनऊ -
मुझे खुशी है कि न्यूजटाइम्स पोस्ट विशेष खबरों को विस्तार से पेश कर रहा है, जो बेहद अच्छी बात है। सच में यह अंक बेहतरीन है।